मुझे याद नहीं कि मैं किसी नदी तट तक कभी गया अथवा नहीं फिर भी कहलाया तटस्थ क्यों कहलाया तटस्थ मैं ? कुछ पता नहीं अभी तक तो सबसे पहले ही पहुँचा हूँ वहाँ-वहाँ लेकर अपनी कविता जहाँ-जहाँ हुई हैं हत्याएँ।
हिंदी समय में राजकुमार कुंभज की रचनाएँ